Revolution of Ballia | History of Ballia | Bagi Ballia Revolution भाग 7

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Baaghi Ballia Rrevolution | History of Ballia | Bagi Ballia Revolution भाग 7

16 अगस्त 1942

बलिया “ाहर में 10 अगस्त से चल रही बन्दी और जिला प्रषासन द्वारा लगाए गए धारा 144 के मिनी कर्फ्यू जैसे अनुपालन से जन जीवन बेहाल हो गया था।

आज लोगों ने इस सरकार निशेधाज्ञा को तोड़कर विरोध जताने का निर्णय किया। व्यापारियों ने यहां प्रसिद्ध गुदरी बाजार को पूरे जोर “ाोर से खोल दिया गुपचुप बखर से सब्जी बेचने वाले नजदीक के गांवों से कोइरी विरादरी के लोग भी भारी संख्या मं आ गए,

चन्द घंटे में गुदरी बाजार लोहापट्टी में मेले जैसी भीड़ हो गयी, नगर निवासी भी खरीदारी करने टूट पड़े जैसे ही यह बात प्रषासन तक पहुंची, तहसीलदार राम लगन सिंह एक पुलिस लारी पर पुलिस के साथ बाजार में आ धमके और लारी से लोगों को कुचलने लगे।

जनता विरोध पर उतरी तो पुलिस ने फायरिंग “ाुरू कर दिया, जिसमें बीस वर्श युवक दुखी कोइरी (खोरीपाकड़) सहित नौ लोग “ाहीद हो गए व्यापारियों व सब्जी बेचने वाले किसानों पुलिस और तहसीलदार को बाजार से खदेड़ कर ही दम लिया।

इस बर्बर काण्ड दूसरी प्रतिक्रिया भी तुरन्त हुर्इ तुरहाटोली (अब राजेन्द्र नगर) से श्रीमती जानकी देवी, श्रीमती मानकी देवी, सुश्री “ाान्ति, सुश्री कान्ति, श्रीमती धूपा, लखरानी, “याम सुन्दरी देवी और सुश्री गायत्री के नेतृत्व में जूलूस निकाला गया।

लोहापट्टी में “ाहर कोतवाल षिवकेदार सिंह, परगना मजिस्ट्रेट मुहम्मद ओबेस ने मारी घेराबन्दी कर इन महिलाओं को गिरफ्तार लिया।

इसी दिन विद्यार्थियों ने फेफना से एक ट्रेन को जबरन अगवा कर उसे ‘‘आजाद ट्रेन’’ का नाम दे दिया, छात्रों से भरी यह रेलगाड़ी 12 बजे दिन में बलिया स्टेषन पहुंची तो गंगा प्रसाद गुप्त ने उस पर तिरंगा फहरा कर स्वागत किया।

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नरहीं- गड़हा परगना के नायक स्वामी ओंकारानन्द, श्री लक्ष्मी “ांकर त्रिवेदी (नरहीं) श्री जंग बहादुर सिंह (चौरा), श्री षिवनारायण सिंह (बन्धैता) अपने दो हजार से अधिक युवा साथियों के साथ आज चितबड़ागांव से ताजपुर तक की रेल लाइन उखाड़ कर “ााम होने पर लौट रहे थे,

नरहीं के थानेदार ने आज इन लोगों सबक सिखाने के लिए 250 से अधिक गड़हां के ही गुण्डो-लठैतों को थाने में बुला रखा था, साथ ही इलाके से लोगो की बन्दूकें भी मंगवा कर इनको दे दी गर्इ थी,

जैसे ही आन्दोलनकारियों का जूलूस थाने पर पहुंचा। भीड़ और उसके तेवर को देख कर थानेदार सुन्दर सिंह और उनके लठैतों की बोलती बन्द हो गर्इ।

अधिकांष लठैत तो इलाके के सम्मानित जनों को देखकर ही खिसक लिए, “ोश थानेदार की दषा और भीड़ के तेवर देखकर भाग चलें, थानेदार ने आज फिर खुद थाने पर तिरंगा फहराया। सलामी दिया और दस रूपये चन्दा भी दिया।

चिलकहर- आज ही श्री जगदीष सिंह, श्री मान्धाता सिंह, श्री ब्रह्मा सिंह और श्री चन्द्रमा सिंह के नेतृत्व में आठ हजार से अधिक की भीड़ ने चिलकहर रेलवे स्टेषन को फूंक दिया।

नौरंगाघाट- वाराणसी से पटना जा रहे स्टीमर ‘‘हरमस’’ को श्री भूपनारायण सिंह, श्री सुदर्षन सिंह, श्री केदार नाथ तिवारी, श्री प्रभुनाथ तिवारी, श्री परषुराम सिंह, श्री रामजन्म पाण्डे, श्री पोतन मिश्र, श्री नागेष्वर मिश्र और

श्री पारस राय के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने नौरंगा घाट स्टीमर स्टेषन पर क्षतिग्रस्त करके उस पर लदा सामान गंगानदी में फेंक दिया और कर्मचारियों को उतार कर स्टीमर को बहा दिया।

इन बिप्लवी घटनाओं से बेचैन-परेषान कलक्टर श्री जे0 निगम कमिष्नरी बनारस (वाराणसी) से सहायता की गुहार कर रहे थे, लेकिन रेल और सड़क यातायात भंग होने से उन्हें कोर्इ सहायता नहीं मिल पा रही थी।

प्रषासन के इर्द-गिर्द मंडराने वाले जी हजूरी नेता जो कल तक इस आन्दोलन को लौडे-लफंगों की “ारारत बताकर मूंछ ऐंठ रहे थे।

उनकी हालत अब खराब हो चुकी थी, वह मुह छिपाएं फिर रहे थे। आर्इ0 सी0 एस0 अधिकारी कलक्टर जे0 निगम को सारी हकीकत समझ में आ गर्इ थी।

उन्होंने जेल में बन्द पं0 चित्तू पाण्डे, पं0, महानन्द मिश्र, श्री राधामोहन सिंह आदि नेताओं से वार्ता करने का निष्चय किया। इसके लिए जिला बोर्ड के सदस्य श्री “याम सुन्दर उपाध्याय को श्री जे0 निगम ने जेल में बन्द नेताओं से बात कर इस विप्लव की निन्दा करने का बयान जारी कराने की कोषिष किया।

लेकिन जेल मेब न्द श्री चित्तू पाण्डे तथा श्री राधामोहन सिंह ने दो टूक मना कर दिया। इन दोनो नेताओं ने कहा कि जेल में रहते हुए हमें क्या मालूम है कि लोग अच्छा कर रहे है कि बुरा कर रहे है।

17 अगस्त 1942

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जिले भर में अपने-अपने ढ़ग से अंग्रेजी हूकूमत को मात देने के लिए का जा रही कार्यवार्इ के बीच ग्राम रक्षक दल, सेवा दल और किसान संगठन के कार्यकत्ताओं में वैचारिक एकता भी आने लगी थी।

सभी का अब एक लक्ष्य था कि किसी प्रकार से हमें ब्रिटिष गुलामी से मुक्त होना है। नरम दल-गरम दल, हिंसा-अंहिसा की बातें पीछे छूट चुकी थी,

अब इस मुक्ति संग्राम में जनता आगे हो गयी थी और नेता पीछे हो गए। आज का दिन जिले के सभी तहसीलों और थानों पर स्वायत “ाासन की स्थापना के लिए तय था।

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रसड़ा- सप्ताह भर से चल रहे संघर्श में मूक दर्षक बने रसड़ा क्षेत्र की जनता का जोष आज जाग उठा, 10 बजे दिन में पन्द्रह हजार से भी अधिक का जन समूह रसड़ा रेलवे स्टेषन प्रांगण में एकत्र होकर इन्कलाब जिन्दाबाद के नारे लगाने लगा। रेलवे स्टेषन पर पड़े अमानती माल को लूट कर स्टेषन में आग लगा दी गर्इ।

यहां से यह जूलूस “ाहर की ओर बढ़ा, डाकखाना लूट कर कचहरी में पहुंचे, भीड़ को देखते हुए तहसीलदार ने सषस्त्र सुरक्षा कर्मियों को प्रतिरोध करने से रोक दिया और स्वयं गांधी टोपी पहनकर अपने हाथों तिरंगे को तहसील पर फहरा दिया।

बिना किसी संघर्श के मिली विजय और तहसील पर अपने “ाान से लहराते भारतीय तिरंगे को देखकर जन समूह खुषी से उन्मत हो नाचने लगा। इस विजय अभियान का नेतृत्व श्री हाजिर बख्“ा अंसारी, श्री नन्दलाल “ार्मा, श्री “याम किषोर “ार्मा, श्री हनुमान राम, डॉ0 हरिचरण लाल, मुहम्मद अयूब “ाौकती, श्री हरगोविन्द सिंह (ताड़ीबड़ागांव), श्री रामदेनी राम, श्री सीताराम कलवार श्री गोरख सिंह (सोनापाली) और वृद्ध क्रांतिकारी नेता बाबू सहदेव सिंह कर रहे थे।

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