Revolution of Ballia | History of Ballia | Bagi Ballia Revolution भाग 6

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Revolution of Ballia | History of Ballia | Bagi Ballia Revolution भाग 6

स्वराज की ओर

15 अगस्त 1942

बलिया “ाहर दो दिनों तक “ाान्ति से अनवरत बन्द रहने के बाद जाग उठा रेवती-फेफना के बीच चलरही आजाद बलिया की बिना टिकट वाली ट्रेन जब बलिया पहुंची तो हजारों विद्याथ्र्ाी “ाहर में आ गए, इसी में से आठ-दस को रेलवे पुलिस ने पकड़ लिया।

इस घटना की प्रतिक्रिया में छात्र उत्त्ोजित हुए तो “ाहर की जनता उनके साथ हो गर्इ। लगभग 500 लोगों का दल जहाजघाट (अब बालेष्वर घाट, बलिया) स्टेषन पर पहुंचा, स्टेषन को आग के हवाले कर दिया तथा वहां खड़ी जहाज का रस्सा खोलकर पानी में बहा दिया।

यहां से यह अनियंत्रित भीड़ मालगोदाम पहुंची मालगोदाम के ताले तोड़कर वहां रखे सामानों और अनाज लूट लिए गये। स्थानीय लोग उसे अपने घर लेकर चले गए।

आज ही “ाहर के चौक में स्थित डाकघर को भी लोगों ने लूट लिया। एक दूसरे जत्थे ने 9 अगस्त पुलिस के कब्जे कैद कांग्रेस दफ्तर पर कब्जा करलिया।

अब पुलिस स्वयं को असुरक्षित समझकर चौकियों को छोड़ थाने पर इकठ्ठा रहने लगी। थाने वाले छोड़कर दूसरी सुरक्षित जगह ढूढ़ने लगे।

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चितबड़ागांव-पीपरा घाट पुल (अब चितबड़ागांव-फेफना के बीच का पक्का पुल) जो लकड़ी का था फूंक दिया गया। चितबड़ागांव पुलिस चौकी को श्री षिवधनी कमकर और श्री राजनारायण गुप्त ने फूंक दिया। अब नरहीं थाने की बारी थी, स्वामी ओंकारनन्द जी के नेतृत्व में श्री बेनी माधव सिंह,

श्री लक्ष्मी “ांकर त्रिवेदी, श्री षिवपूजन पाण्डेय, श्री गफूर साहब, जनार्दन तिवारी, श्री अभय कुमार लाल, श्री हरिषंकर तिवारी, श्री राजनारायण गुप्त, श्री राजनारायण तिवारी, श्री षिवानन्द सिंह, श्री भोजदत्त, श्री महंगू गुप्त सहित हजारों का जूलूस नरहीं थानें पर पहुंचा।

भयभती खड़़े थानेदार कुॅवर सुन्दर सिंह के सामने ही बाबू बेनी माधव सिंह थाने पर तिरंगा झण्डा फहरा दिया। भीड़ के आदेष पर थानेदार ने तिरंगे को सलामी दिया और दस रूपये का नजराना भी दिया। झण्डा गीत के बाद थानेदार ने बेनी माधव सिंह गले लगाया

और धीरे से हड़काया कि मैं तुम्हारा खून पी जाउगां। बात खुलते ही युवा वर्ग बौखला उठा लेकिन समझदारों ने सयंम काम लेकर झगड़ा टाल दिया।

रेवती में स्वराज

रेवती में स्वतंत्रता आन्दोलन के कार्यकर्त्ताओं की बहुत अच्छी अनुषासित इकार्इ थी जिसमेंश्री बच्चा तिवारी, श्री सरजू प्रसाद सिंह, श्री नारायण मिश्र, श्री रघुरार्इ राम, श्री सकलदीप सिंह, श्री षिवपूजन सिंह, श्री रामधारी सिंह (झरकटहां), श्री बलराम सिंह एवं श्री राम बहादुर सिंह (गायघाट), श्री उमाषंकर लाल, श्री विष्वनाथ बरर्इ,

श्री नन्द कुमार, श्री राम किषुन राम, श्री पारसनाथ पाण्डे (रामपुर) आदि प्रमुक्ष सक्रिया कार्यकर्त्ता थे। इन लोगों ने जनबल के साथ-साथ बुद्धिबल का अचूक उपयोग किया। पहले से क्षतिग्रस्त की गर्इ रेल पटरियों का पहले पूरी तरह उखड़वा दिया।

सड़को पर जगह-जगह खांइयां खोद कर पेड़ गिराकर सड़क सम्पर्क भी भंग कर दिया। फिर एकाएक धावा बोलकर सहतवार थाने की रेवती पुलिस चौकी के सिपाहियों को डरा-धमका कर भगा दिया। डाकघर की जरूरत नहीं समझ में आर्इ तो उसे फूंक दिया, कानूनगों कार्यालय एवं नगर पंचायत कार्यालय के कर्मचारियों को भगा कर इन पर कब्जा कर लिया।

इस प्रकार से रेवती का सम्पूर्ण “ाहरी-देहाती क्षेत्र जिला केन्द्र से अलग कट कर एक ही दिन के अभियान में आजाद हो गया।

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इसी दिन यहां स्वतंत्र भारत के प्रथम पंचायती राज “ाासन की तत्काल स्थापना हो गयी, जिसने बड़ी ही निश्ठापूर्वक पंचायत “ाासन और वास्तविक प्रजातंत्र की मिषाल कायम करके लोगों व्यवहाकि रूप् से आजादी का मतलब बता दिखा दिया।

बगैर पुलिस की व्यवस्था के जनता द्वारा जनता को पूर्ण सुरक्षा प्राप्त थी। गुण्डो-बदमाषों-चोर-डकैतों पर मात्र 24 घण्टे में पूर्ण नियन्त्रण कर लिया गया। जनता के मन से इनका भय भी निकल गया। कोर्इ किसी को प्रताड़ित करने की सोच भी नही सकता था।

इतनी हनक इस स्वराज के “ाासन में थी। आज की अराजक स्थिति में लोगों को यह बात अट पटी और झूठी लग सकती है, मैं मात्र दो उदाहरण इस स्वषासन के सुराज का प्रस्तुत कर रहा हूँ। जो आपके सामने सच्चार्इ रख देगें।

रेल यातायात छप हो जाने से एक गायिका अपने तीन सहयोगी साजिन्दों के छपरा से पैदल रेल लाइन पकड़ कर आ रही थी, उसके पास अपने जिन्दगी भर की कमार्इ के रूपये-गहने आदि थे।

रेवती रेलवे स्टेषन के पहले चोर-डकैतो के नामी सरदार ने इन लोगों को लूट लिया। जैसे ही यह बात पंचायत “ाासन को मालूम हुर्इ, इन लूटे-पिटे लोगों को गायघाट प्राइमरी स्कूल में ठहरा कर इनके भोजन-रहने की व्यवस्था किया।

तथा युवाओं की टोली द्वारा सभी गुण्डे-बदमाषों के यहां छाप मारकर तत्काल उसी दिन उस गायिका का सारा माल असवाब बरामद करके उसे सौंप दिया गया। इसके तुरन्त बाद गुण्डा विरोधी अभियान चलाया गया। जिसमें अंग्रेजी “ाासन में गायघाट के ठाकुरराम, महंथ राम के घर हुर्इ, लाखों के जेवर, गल्ला और 42 हजार रूपये नगद की डकैती का पर्दाफास किया।

माल वापस कराने के लिए डकैतों को पकड़कर लाया गया, और उसी पुलिस चौकी में बांधकर उनकी पिटार्इ हुर्इ, सारा सामान डकैतो ने वापस किया केवल अनाज नहीं मिला। इसके बाद पूरे इलाके में चोरी, डकैती लूट की कौन कहे छेड़खानी भी बन्द हो गयी। बाजार में उचित मूल्य पर सही नाप तौल से हर सामान उपलब्ध था।

अपने देष में अपना राज-राम राज्य जिसके लिए यह आन्दोलन हुआ। उसका प्रत्यक्ष आनन्द दस दिनों तक इस क्षेत्र की जनता को प्राप्त हुआ

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बैरिया: आज ही के दिन बहुआरा के श्री भूपनारायण सिंह और डा0 अयोध्या सिंह के नेतृत्व में पन्द्रह हजार से भी अधिक का जन समूह बैरिया थाने पर कब्जा करने आ धमका, मामूली बतरस में युवा क्रांन्तिकारी श्री रामजन्म पाण्डे थानेदार काजिम हुसेन से भिड़ गए, कहा मैने सौगन्ध खाया है कि आज बैरिया थाना आजाद कराउगां।

थानेदार ने स्थिति की नजाकत को भॉपते हुए-खुद थाने पर तिरंगा फहरा दिया और कहा कि दो दिन में हम थाने को खाली करे देगें, चाहे आप लोगों की इजाजत होगी, तोआप लोगों की थानेदारी करूंगा।

थानेदार के इसप्रकार से आत्म समर्पण पर जूलूस रानीगंज बाजार के लिए चल पड़ा रास्ते में गांजा-षराब की दुकाने नश्ट करते हुए, सरेमनपुर स्टेषन पहुंचा। 3 बजे “ााम को सुरेमनपुर स्टेषन स्वाहा हो गया। यहां से यह जूलूस दो भागों में बंट गया।

एक दल रेल पटरियां उखाड़ता, तार सिग्नल तोड़ता बकुलहा की ओर बढ़ा और दूसरा यही काम करते हुए रेवती की ओर चला। बकुलहा, दलछपरा स्टेषन भी फूंक दिया गया। इस अभियान में समीप के सभी गांवों की जनता ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

इस पूरे मामले में पुलिस ने श्री वंषरोपन राय, श्री षिवपूजन राय, श्री भगवती पाण्डे, श्री डोमन चमार, श्री षिवपूजन सोनार, श्री सुन्दर नोनिया, श्री रामदीन सिंह (टोला फकरू राय) और श्री रामेष्वर सिंह पर मुकदमा चलाया।

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नगरा-आज इस आन्दोलन की आग की तपिष नगरा भी पहुंच गर्इ, स्वामी चन्द्रिका दास, श्री हरगोविन्द सिंह(ताड़ी बड़ागांव), श्री पषुराम मिश्र (तुर्की), श्री गोरख सिंह(सोनापाली), श्री बालेष्वर सिंह, श्री हंसनाथ सिंह, श्री सत्यनारायण सिंह, श्री मुसाफिर अहीर, श्री रामबचन पाण्डे,

श्री कन्हर्इ सोनार (नगरा), श्री सहदेव राम, श्री गौरी कलवार तथा श्री इन्द्रदेव प्रसाद आदि की सक्रियता से यहां भी विषाल जूलूस निकला, जिसने नगरा में डाकघर को फूंककर उस पर तिरंगा फहराया, ताखा, नरहीं, सोनापाली में सड़कों के पुलों को तोड़ दिया।

पेड़ों को काटकर सड़क अवरूद्ध कर दिया। रास्ते में वर्दी-पेटी पहने एक चौकीदार मिला। उसकी वर्दी पेटी उतरवा कर भीड़ ने जलवा दिया।

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