Revolution of Ballia | History of Ballia | Bagi Ballia Revolution भाग 5

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Revolution of Ballia | History of Ballia | Bagi Ballia Revolution भाग 5

आज की जनक्रांति जानकी के नाम

Revolution of Ballia | History of Ballia | Bagi Ballia Revolution भाग 5

13 अगस्त 1942

सुबह बनारस से आने वाली ट्रेन जैसे ही जिले के पहले स्टेषन चितबड़गांव पहुंची, ट्रेन पर आए बलिया के विद्यार्थियों ने स्थानीय जनता के साथ मिलकर चितबड़ागांव रेलवे स्टेषन के सारे कागजात फूंक दिए, रेल पटरी उखाड़ने और टेलीफोन के तार काटने का एलान हो गया। ताकि इस जिले में बाहर से फौज नहीं आने पाए।

जिला मुख्यालय पर आज महिलाओं ने मोर्चा सम्भाल लिया। श्रीमती जानकी देवी, उनकी बहन गायत्री देवी तथा उनकी माताजी ने सैकड़ो महिलाओं के साथ जूलूस निकाला। जब यह जूलूस चौक में पहुंचा तो एक गेरूवां पहने महात्मा पहुंच गए, उन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी से ऐसा भाशण दिया कि यह जूलूस अब जन सैलाब बन गया। आगे-आगेमहिलाओं का जलूस और पीछे से हजारों का हजूम कचहरी की ओर चल पड़ा।

सबसे पहले महिलाओं का जूलूस सिविल जज के अदालत में पहुंचा जानकी देवी ने सिविल जज से कहा- ‘जज साहब आप इन लोगों (प्रषासन) को रोकिए हम अपनी आजादी के हक के लिए लड़ रहे है, पुलिस विद्यार्थियों पर अमानुशिक अत्याचार कर रही है।’ जज साहब ने कहा- मैं इसमें कुछ भी करने से असमर्थ हूँ।

तब जानकी देवी ने कहा कि आप हमारे साथ जूलूस में चलिए, जज साहब ने मना कर दिया। तब बहादुर महिलाओं ने अपनी चूड़िया निकाल कर उनकी ओर फेंकते हुए कहा- ‘जज साहब! आप यह चूड़ियां पहन कर बैठिए देष को हम महिलाये ही आजाद करा लेगी।’ इस बीच क्रांतिकारी बालाओं एक दल ने जजी कचहरी के भवन पर चढ़ कर तिरंगा फहरा दिया। भारत माता की जय, वन्देमातरम, इन्कलाब जिन्दाबाद के नारों से कचहरी गूंज उठी।

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यहां से वीरागंनाओं का यह जूलूस कलेक्ट्रेट की ओर बढ़ा, कलक्टर श्री जे0 निगम को जैसे ही जूलूस के आने की खबर लगी, इजलास छोड़कर निकल लिए, कलक्टर साहब को कुर्सी पर नही पाकर जूलूस परगना मजिस्ट्रेट मुहम्मद ओवैस के इजलास पर जा पहुंचा, जानकी देवी ने परगना मजिस्ट्रेट को तुरन्त कुर्सी छोड़ने का आदेष दिया,

अदालत के अन्दर-बाहर खड़ी आक्रोषित भीड़ को देखते हुए, मुहम्मद ओवैस तत्काल कुर्सी छोड़कर चल दिए, अब परगना मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर जानकी देवी विराजमान हो गयी, जनता नारे लगाने लगी ‘इन्कलाब जिन्दाबाद’ भारत माता की जय, अंग्रेजो भारत छोड़ों’’ यह विजय और उल्लास का क्षण था।

कुछ देर तक परगना मजिस्ट्रेट के इजलास पर कब्जे के बाद पूरी कचहरी का चक्कर लगाकर आज की कार्यवाही खत्म की गर्इ।

आज जिले भर से विजय की खबरें आ रही थीं। बॉसडीह में ‘ग्राम रक्षक दल’ के नेता श्री वृन्दा सिंह ने बॉसडीह थाने के एक घूसखोर सिपाही को ग्राम रक्षक दल के स्वयंसेवकों से पकड़कर मंगवाया, उसे दिन भर बन्द करके रखा गया।

फिर उसे अपराधी की तरह गांव में घुमाया गया। बांसडीह तहसील और थाने के अधिकारी, कर्मचारी भींगी बिल्ली बने बैठे रहे।

रेवती में रेलवे के सिग्नल तार, टेलीफोन तार काट दिये गये। रेल की पटरियों को भी युवकों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। जिससे छपरा की ओर से आने वाली गाड़ियों का आवागमन ठप पड़ गया।

खेजुरी में कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं ने पुलिस द्वारा कब्जा किए गए अपने मंडल कार्यालय पर कब्जा करके तिरंगा फहरा दिया। बेलथरा रोड में दिगम्बर बाबा के मेले में विषाल जनसभा हुर्इ।

14 अगस्त 1942

चितबड़ागांव में श्री भोजदत्त यादव और श्री माधव सिंह बरहजिया के नेतृत्व में जनता ने डाकघर पर धावा बोलकर सारे अभिलेख और रोकड़ पर अधिकार कर लिया तथा स्वायत सरकार की स्थापना करके डाकघर के संचालन के लिए श्री जगन्नाथ तिवारी को आजाद भारत का डाकपाल बना दिया ।

आज ही सोहांव से श्री राम नगीना राय सैकड़ों युवाओं के साथ चितबड़ागांव पहुंचे इनलोगो ने चितबड़ागाव, ताजपुर और फेफना सहित आस-पास के गावों की जनता के साथ मिलकर पूरी रात मेहनत करके रेलवे के सिग्नल, टेलीफोन लाइनो को काट दिया। जगह-जगह रेल पटरियां उखाड़ दी।

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बिल्थरारोड : इलाहाबाद-वाराणसी में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने पूरी एक ट्रेन पर ही कब्जा करके उसका नाम ‘आजाद हिन्द ट्रेन’ रख दिया था।

यह ट्रेन 8 बजे सुबह बिल्थरा रोड स्टेषन पर पहुंची। इस ट्रेन पर सवार एक क्रांतिकारी छात्रा ने ललकारा-अंग्रेजी राज खत्म हो गया है, यहां से दक्षिण के सारे स्टेषन फूंक दिए गए है, यहां के लोग मर्द नहीं मालूम देते अच्छा होता, हिम्मत नहीं है तो चूड़िया पहन लों।

ट्रे आगे की ओर अलख जगाने बढ़ गर्इ। लेकिन उस छात्रा के “ाब्दों ने छात्र नेता श्री पारसनाथ मिश्र को झकझोर दिया, उन्होंने डी0ए0वी0 स्कूल के छात्रों को साथ लेकर जूलूस निकाला रेलवे स्टेषन, मालगोदाम, पानीटंकी डाकघर फूंक दिया।

तभी चीनी ले जा रही एक मालगाड़ी यहां पहुंची उसकी सारी चीनी लूट कर उसे भी आग लगा दी गर्इ। सबसे अहम बात यह रही की चीनी को तो लोग लूट कर घर ले गए लेकिन नोटो को तिजोरी से निकालने के बाद आग में डालकर जला दिया।

इस कांड को अंजाम देने वालों में श्री देवनाथ उपाध्याय (प्रधानाचार्य डी0ए0वी0), डा0 हरचरण लाल, श्री सरजू राम, श्री सुदेष्वर लाल, श्री ऋशि तिवारी, श्री चन्द्रदीप सिंह, श्री चन्द्रमायादव, श्री जगन्नाथ पाण्डेय, श्री प्यारे मोहन लाल, श्री बासुदेव सिंह, श्री माधव सिंह, श्री लाल जी दूबे तथा श्रीकान्त जी ने उल्लेखनीय योगदान दिया।

इनके साथ हजारों की भीड़ भी थी। ये सभी लोग गांधी जी की जय, इन्कलाब जिन्दाबाद के नारे लगा रहे थे।

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सिकन्दरपुर-चेतन किषोर निवासी श्री राम नगीना राय छोटे स्कूली बच्चों के जूलूस के साथ मिडिल स्कूल सिकन्दरपुर पहुंचे, बच्चे हाथों में तिरंगा लिए आजादी गीत गा-गाकर लोगों को जूलूस में “ाामिल होने के लिए खींच रहे थे,

मिडिल स्कूल से जब बच्चे कस्बे की ओर बढ़े तब थानेदार अषफ़ाक ने ब्रिटिष साम्राज्य के प्रति अपनी स्वान स्वामीभक्ति दिखाते हुए, बच्चों के जूलूस पर घोड़ा दौड़ाने लगा जिससे दर्जनो बच्चों के हाथ पैर कुचल कर टूट गए।

घायल होकर गिरे नन्हें-मुन्हें बच्चों पर भी यह दरिंदा घोड़े घुमाता रहा।अन्त में श्री रामनगीना राय को गिरफ्तार कर बलिया जेल भेज दिया।

कटरिया के जंगल में आज 250 से अधिक क्रांतिकारी कार्यकर्त्ताओं ने बैठक करके आगे की रणनीति बनार्इ, जिला मुख्यालय से मात्र 5 किमी की दूरीपर हुर्इ, इस बैठक की भनक भी प्रषासन को नहीं लगने पार्इ।

इस बैठक में आये कार्यकर्त्ताओं के भोजन-जलपान की व्यवस्था श्री वासुदेव मिश्र पुत्र श्री चन्द्रकान्त मिश्र और उनके परिवार की महिलाओं ने उनकी माता श्रीमति कलावती देवी के सांनिध्य में बड़ी तन्मयता से किया।

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