Revolution of Ballia | Ballia Freedom Fighter | Bagi Ballia Revolution भाग 15

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Revolution of Ballia | Ballia Freedom Fighter | Bagi Ballia Revolution भाग 15

ब्रिटिष फौज का दमन चक्र बलिया जिला मुख्यालय पर अपनी जघन्य कार्यवाही से आतंक फैलाकर अपना दबदबा कायम करने के बाद, ब्रितानी फौज को छोटे-छोटे टुकिड़़यों में बांटकर नेदरसोल ने स्थानीय थानों के उन थानेदारों और सिपाहियों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा।

ये सभी पुलिसकर्मी थानों पर जनता का अधिकार हो जाने के बाद पुलिस लाइन में आकर “ारण लिए हुए थे।

पूरे जिले में स्वातन्त्र्य वीरों द्वारा स्थापित स्वायत सरकार से सत्ता वापस लेने की मुहिम पर निकली ब्रिटिष फौज की इन टुकड़ियों ने जनता में ब्रिटिष “ाासन का खौफ पैदा करने के लिए राह चलते नागरिकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाया। लोगों के घरों, दुकानों को लूटा और फूंका, महिलाओं के जेवर लूट उनको नंगा किया। यहां तक कि निरीह जानवरों तक को भी नहीं छोड़ा।

रसड़ा-

बलिया “ाहर से एक दिन पहले ही आजमगढ़ की ओर से मऊ के रास्ते कैप्टन मूर के नेतृत्व में रसड़ा के लिए आयी फौजी टुकड़ी जिसका सामना आते ही बिल्थरारोड के सेनानियों से हुआ था। 21 अगस्त को ही रसड़ा पंहुच गयी थी। इस फौजी दस्ते में कुल 45 सैनिक थें।

मषीनगनों से लैस सफेद वर्दी की यह सैनिक टुकड़ी ब्रिटिष फौज की विषेश टुकड़ी थी। 22 अगस्त से ही इस फोजी दस्ते ने अपनी आतंकित करने वाली कार्यवार्इ “ाुरू कर दिया।

इनके पहले षिकार बने श्री हाजिरबख्स अंसारी फौजियों ने इन्हे उस वक्त गिरफ्तार कर लिया। जब वह अपनी उसी दिन वफात हुर्इ बेटी को कब्र में दफना रहें थे।

इसके बाद रसड़ा में ही श्री ऋशिलाल अग्रवाल, श्री सीताराम कलवार, श्री विष्वनाथ राम कलवार, श्री बैजनाथ स्वर्णकार और श्री “यामकिषोर की भी गिरतारी हुर्इ। इन सभी को फौजियों ने रसड़ा थाने में घोर अमानुशिक यातनाएं देना “ाुरू किया।

श्री ऋशिलाल अग्रवाल के पिता श्री सूरज प्रसाद रसड़ा के बड़े रइस थे, उन्होने अपने लड़के को छुड़ाने के लिए उसके वजन के बराबर चांदी के सिक्के देने की पेषकस किया। लेकिन बेटे को नहीं छुड़ा सके।

इन सभी लोगों को बलिया भेज दिया गया। उस निर्मम दास्तां को झेलने वाले मरहूम सेनानी जनाब हाजिर बक्स अंसारी ने लेखक को बताया था, कि जैसे हम लोग बलिया पंहुचे, हम लोगों को लगा कि अब हमें जेल भेज दिया जाएगां यातनाओं से मुक्ति मिल गयी।

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लेकिन यहां पंहुचते ही हम लोगों केा पुलिस लाइन में मुर्गा बना दिया गया। इसके बाद संगीन चुभा-चुभा कर जबरन पेड़ों पर चढ़ाया गया। उसके बाद बड़ी बेरहमी से हमारे नितम्बों में संगीने भोंकी गयी। कोड़ों से निर्दयता पूर्वक पीटा गया।

रसड़ा के व्यापारियों से 88 हजार रूपये फौज ने धमका कर वसूल लिया। इसके अतिरिक्त पांच लाख रूपये से अधिक के जेवर और अन्य सामान फौजियों ने लूट लिया।

श्री अयूब “ाौकती, हाजिर बक्ष अंसारी और डा. हरि चरण लाल के मकान को पूरी तरह से लूट कर फौज ने फूंक दिया। श्री विन्ध्याचल राम लोहार और श्री वंषरोपन भर की पिटार्इ करके इन्हे थाने के सामने पेड़ पर उल्टा लटका दिया।

रसड़ा कस्बे पर बाद में सरकारी स्तर से 90 हजार रूपये का सामूहिक जुर्माना लगाया गया।

रसड़ा से सटे सरदासपुर गांव में फौज ने सबसे अधिक अत्याचार किया। इस गांव के श्री विष्वनाथ सिंह, श्री हनुमान राम, श्री चन्द्रमा सिंह, श्री रघुपति सिंह, श्री रामवृक्ष सिंह के घरों को लुटकर उनमें आग लगा दिया। यहां कुल 12 मकानों को फौज ने फूंक दियां गांजा भर और दो अन्य लोगों को बुरी तरह से पीटकर पेड़ पर उल्टा लटका दिया।

17 अगस्त को रसड़ा में क्रान्तिकारी भीड़ पर गोली चलाने वाले कायर थानेदार ने गांव की तीन महिलाओं को पकड़ लिया। सम्पन्न घरों की इन महिलाओं के “ारीर से सारे गहने लूटने के बाद इस दुश्ट ने उनके कपड़े उतारकर नंगा कर दिया।

श्री रामेष्वर तेली को हाथी के पैर में बांधकर घसीटा गया। इसकी इस दुश्टता का असर बाकी फौजियों पर पड़ा और छितौनी गांव में फौजियों ने भी महिलाओं के कपड़े उतरवा दिये।

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चेरौवां-

रसड़ा तहसील के ही चेरौवां गांव (अब बिल्थरारोड तहसील) में कैप्टन मूर के नेतृत्व में बिल्थरारोड गयी फौज टूकड़ी 24 अगस्त को क्रान्तिकारियों का पीछा करते हुए पंहुची। यहां फौजियों की मषीनगन ने श्री षिवषंकर सिंह, श्री खर वियार, श्री मंगला सिंह को छलनी कर मौत की नींद सुला दिया।

यहां पर श्री लालचन्द्र भगत, श्री रामदेनी भगत, श्री कपिलदेव सिंह, श्री मृगराज सिंह, श्री राम सेवक तिवारी और श्री कन्हैया सिंह की सारी सम्पत्ति लूटकर फौजियों ने इन्हे कंगाल बना दिया। श्री लालचन्द्र भगत की लाखों की सम्पत्ति में साठ हजार रूपये नगद भी थे।

ऐसे श्री रामदेनी भगत की भी दस हजार नगदी लूटी। इन लोगों के पहनने के कपड़े तक लूट कर घरों में आग लगा दिये गये थें।

रसड़ा तहसील के नगरा क्षेत्र पंचायत के सोनापाली गांव में श्री कुलदीप सिंह और श्री अखिलानन्द सिंह की 6 एकड़ गन्ने की खड़ी फसल को कटवाकर फौज उठा ले गर्इ। तुर्की गांव के श्री परषुराम मिश्र का घर बार लूट लिया।

इस तहसील में दमनात्मक कार्यवाही को अंजाम दिलाने तथा फौज को लूटने लायक लोगों का पता बताने में चन्द्रिका सिंह, कानूनगो का बड़ा हाथ था।

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बांसडीह-

17 अगस्त 1942 को अपने जनबल की हनक मात्र से ब्रिटिष सरकार के प्रषासन को घुटनों के बल चला, आजादी छीन लेने वाली बांसडीह क्षेत्र की जनता को 24 अगस्त को मालुम हुआ कि यहां से जान की खैर मांगकर भागा नायब थानेदार जाफर फौज के साथ थाने पर कब्जा करने आया है तो वह उबल पड़ी।

हजारों की भीड़ फौजियों का पीछा करते हुए ललकारने लगी। लेकिन निहत्थी जनता सषस्त्र फौज के सामने कितने देर टिकती। फौज की अंधाधुंध फायरिंग में जितौरा के श्री रामनगीना सिंह और श्री “ांकर भर “ाहीद हो गये।

भागकर मक्के के खेतों में छिपी भीड़ में अनेक लोगों को छर्रे लगें ख्ेात में मचान पर बैठकर मक्के की फसल की निगरानी कर रही आठ साल की बच्ची भी “ाहीद हो गयी। फौज के भय से घनी लगी मक्का, ज्वार, बाजरे की फसल में नहीं घुंसी, जिससे जनता बचकर निकल गयी।

बांसडीह नगर में फौजियों ने श्री डिग्री उपाध्याय, श्री षिव जी मिश्र, श्री रघुबीर सिंह, श्री रामकृश्ण माली, श्री नागेष्वर सिंह केा गिरफ्तार कर इनकी बुरी तरह पिटार्इ किया।

इसमें श्री रामकृश्ण माली एवं श्री नागेष्वर सिंह की तो इस पिटार्इ के कारण ही चन्द दिनों में मौत हो गयी। फौजियों ने श्री मथुरा प्रसाद सहित अनेक लोगों को बुरी तरह से लूट लिया। देवढ़ी के केदार सिंह भी इनकी लूट के षिकार बनें।

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सहतवार-

आन्दोलन के यषस्वी नायक श्री श्रीपति कुंवर को खोजते हुए ब्रिटिष फौज सहतवार पंहुची। लेकिन वह तो फरार हो गये थें। फौजियों ने उनके भार्इ श्री सीताराम कुंवर को पकड़ लिया।

इनसे फौज ने बैरिया के थानेदार और सिपाहियों द्वारा भागते समय फेकी गयी तेरह बन्दूकें वापस देने को कहा, थानेदार हैदर भी साथ ही थें। मकान की तलाषी में भूसा घर से तेरहों बन्दूकें बरामद हो गयी।

अंग्रेज कप्तान ने उसी वक्त थानेदार हैदर को गालिया बकते हुए, वर्दी उतारने का आदेष दिया, और कहा, तुक इण्डियन कुत्ते केवल भैंस चराने के काबिल हो।

और सचमुच भैंस चरा रहे एक चरवाहे को भगाकर उसकी भैंसों को चराने का आदेष हैदर मियां को दिया। इसके बाद लाइन हाजिर भी करा दिया।

फौज ने श्री जमुना राय को गिरफ्तार कर उनका मकान फूंक दिया। स्थानीय व्यापारी श्री हरिराम, श्री इन्द्रदेव प्रसाद गुप्त और श्री श्री कृश्ण प्रसाद के घरों, दुकानों को लूट लिया।

श्री सूरज प्रसाद की कोठी पर कब्जा करके उसमें पुलिस चौकी खोल दिया। चांदपुर के श्री जमुना सिंह केा पीटते घसीटते हुए सहतवार तक ले आये। जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गयी।

श्री श्रीपति कुंवर के बड़े भार्इ श्री श्रीनाथ कुंवर को उनके बदले पकड़ लाये। झूठे मुकदमें चलाकर उन्हे 20 माह कैद और 20 बेंत की सजा दिया।

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सुखपुरा-

24 अगस्त को जब अंग्रेजी फौज सुखपुरा पंहुची, तो सबसे पहले गांव के लाइसेंसधारियों की बन्दूके छिनवा लिया। रास्ते मे मिले करनर्इ के श्री सरजू तिवारी की बन्दूक के कुन्दे से कुटार्इ किया। फौज के अंग्रेज कमाण्डर ने सड़क पार कर रहे, कांग्रेस के युवा कार्यकर्ता श्री चण्डी प्रसाद केा अपनी पिस्तौल से गोली मार दिया।

इन्हे तुरन्त बलिया अस्पताल ले जाया गया जहॉ इनकी मौत हो गयी। इनकों गोली मारे जाने की खबर फैलते ही आस पास से हजारों लोग लाठी, भाला लेकर सड़कों पर आ गये। लेकिन तब तक बलिया से दो गाड़ी फौज और पंहुच गयी। फौज के आगे बेबस जनता वापस लौट गयी।

दूसरे दिन पंहुची फौज के अंग्रेज कमाण्डर ने कल ही अंग्रेजी साम्राज्य के भक्त सुखपुरा के महन्थ को कह दिया था कि उभांव थाने के सिपाहियों से छीनी गयी 5 बन्दूकें वापस करा दो।

आज पंहुचते ही फौज महन्थ श्री यदुनाथ गिरी के किलेनुमा मकान पर आ धमकी। फौज को देखकर उनके कुत्ते भौंकने लगे। फैजियों ने दोनों कुत्तों को मार गिराया। दरवाजे पर बंधे महन्थ जी के हाथी को भी मार गिराया।

देा महीने पहले ही ब्रिटिष सरकार के युद्ध लड़ने के लिए दस हजार चन्दा देने वाले, ब्रिटिष के वफादार महन्थ जी 40 फीट उंचार्इ से पोखरे में कूद कर भाग गये। इनकी अद्वालिका को फौजियों ने लूट कर आग लगा दिया।

इसी दिन यहां श्री गौरी “ांकर सोनार को गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया गया।

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छाता-

इस गांव में भी ब्रितानी फौज ने बेरहमी से दमन चक्र चलाया। इनके द्वारा चलायी गयी गोलियों से इस गांव के श्री महावीर कोइरी “ाहीद हो गये। इस गोली वर्शा में श्री विजयी अहीर, श्री कपिलदेव प्रसाद, श्री बैजनाथ बरर्इ और श्री कुबेर भर घायल हो गये।

सिकन्दरपुर-

24 अगस्त को सिकन्दरपुर पंहुची फौजी टुकड़ी ने श्री लक्ष्मी लाल की किराने और कपड़े की दुकानों के ताले तोड़कर सारा सामान अपनी ट्रकों पर लाद लिया।

दुकानों में आग लगा दिया। दुकान के दो नौकर उसी में छिपे बैठे थें। संयोग अच्छा रहा कि पीछे से सुरंग खोद निकल गये ।इन दुकानों के मालिक श्री “ांकर दत्त और श्री कन्हैया लाल को गिरफ्तार कर साथ ले गये। इनके घरों को भी फौजियों ने लूट लिया था।

27 अगस्त को चेतन किषोर के श्री जमुना राय को गोली से उड़ा दिया गया। पन्दह के श्री गौरीषंकर राय उर्फ छोटे लाल का घर लूट कर फूंक दिया, और उनके हाथी को नीलाम करके रूपये हड़प गये।

सिकन्दरपुर काण्ड के सम्बन्ध में पुलिस ने श्री गौरीषंकर राय, श्री मनबोध रंगवा, श्री षिवपुजन सिंह, श्री हीरा राय पुत्र श्री मान राय, श्री हीरा राय पुत्र सीताराम राय, श्री हजारी राय, श्री चन्द्रिका ओझा, श्री राम बचन तिवारी, श्री जलधारी राय, श्री राजकिषोर राय, श्री धर्मदेव पाण्डे, श्री गणेष राय, श्री परषुराम मिश्र, श्री कवलदेव अहीर, श्री प्रमोद राय, श्री सूर्यदीप राय, श्री रामधारी “ार्मा, श्री विष्वनाथ राय, श्री विष्वनाथ लाल, श्री कन्हैया लाल, श्री देवनाथ उपाध्याय, श्री सुग्रीव राय, श्री “ांकर दत्त, श्री राम नगीना राय, और श्री राधाकृश्ण प्रसाद पर मुकदमा चलाया।

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नरहीं-

नरहीं थाने के पास से गुजर रहे श्री मुक्तेष्वर नाथ स्वर्णकार को फौजियों ने गोली मारकर नाले में फेंक दिया। लेकिन वह बच गये।

नरहीं गांव के श्री बलभद्र उपाध्याय, श्री जगत लाल, श्री लक्ष्मी “ांकर त्रिवेदी, श्री त्रिपुरारी राय, श्री ब्रजनन्दन राय, श्री नर्वदेष्वर राय, श्री जगदीष राय के मकानों को लूट कर फौजियों फूंक दिया।

30 अगस्त को नरहीं के थानेदार ने बहरे हलवाहा श्री षिव दहिन मल्लाह (दरियापुर) को गोली मार दिया। इनकी स्मृति में 30 अगस्त को “ाहीद मेला लगता है।

गड़हा क्षेत्र के ही सुरहीं गांव के कर्मठ आन्दोलनकारी श्री भुवनेष्वर राय और श्री हरिद्वार राय “ार्मा का मकान लूटकर फौज ने जला दिया।

चौरा गांव के श्री जंगबहादुर ंिसह, श्री सच्चितानन्द सिंह एवं श्री देवनारायण सिंह के घर भी फौजियों ने लूट लिया।

लक्ष्मण पुर गांव में डा. रामदहिन राय तथा श्री मुरली राय, बसन्तपुर में श्री सच्चितानन्द तिवारी, अमांव में श्री षिवपुजन राय और भरौली के श्री राम सिंहासन राय के मकान लूटे गये।

कोटवां नारायणपुर में नारायणपुर के श्री हरिद्वार राय, श्री ब्रम्हदेव राय और श्री षिवमुनी मल्लाह के घरों को लूटकर जला दिया गया।

यहां पंहुची फौज द्वारा की गयी फायरिंग में श्री वृन्दा तिवारी “ाहीद हो गये। एक व्यक्ति गोलियों से घायल भी हुआ।

नरहीं के थानेदार सुन्दर सिंह ने क्षेत्र के गुण्डों का एक बनाकर गड़हा क्षेत्र में लोगों को खूब लूटा और प्रताड़ित भी किया। लोग उसके दल को ‘पिण्डारी दल’ कहते थे।

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रेवती-

यहां पंहुची फौजी टुकड़ी ने भी रेवती बाजार को मनमाने ढ़ंग से लूटा। कांग्रेस कार्यकर्ता श्री राम नारायण मिश्र की जमकर पिटार्इ किया। श्री रामइकबाल लाल, श्री रामपूजन तिवारी का घर लूट लिया। श्री सूरज प्रसाद सिंह और झरकटहां के श्री रामधारी सिंह, श्री बृज बिहारी सिंह, के मकान लूटकर फूंक दिये। गायघाट में श्री रूप नारायण सिंह, श्री बलराम सिंह तथा श्री विष्वनाथ बरर्इ के मकान लूट कर फूंक दिया। चौबे छपरा के श्री बच्चा तिवारी का घर जला दिया।

सीयर-

मिश्रवली के भूमिगत क्रान्तिकारी नेता श्री पारस नाथ मिश्र के घर का सारा सामान लूटकर, मकान को ध्वस्त कर दिया। इतने से मन को “ाान्ति नहीं मिली तो आग भी लगा दिया। रामपुर हल्दी के श्री देवेन्द्र सिंह के घर को भी लूटकर जला दिया।

गड़वार-

क्रान्तिकारी नेता श्री षिवपूजन सिंह, श्री हरिनारायण प्रसाद, श्री खेदू राम सहित कर्इ लोगों के घरों को लूट कर फूंक दिया।

खेजुरी-

यहां भी पूरे इलाके में नाना प्रकार के जुल्म ढ़ाये गये। पूर के श्री राजकिषोर सिंह, श्री लक्ष्मण तिवारी, श्री हरि विलास गुप्ता(पूर) और श्री जलधारी सिंह के मकान लूट कर फूके गये।

खेजूरी के श्री चन्द्रिका प्रसाद के तीन मकान लूटने के बाद जला दिय गये।

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बैरिया-

18 अगस्त को द्वाबावासियों द्वारा किये गये पराक्रम से फौज यहां जाने से कतरा रही थी। लेकिन कुछ देषद्रोहियों के उकसाने पर पंहुची फौज ने क्षेत्र के मधुबनी, श्रीनगर, कोटवां, बैरिया, सोनबरसा, बहुआरा में काफी अत्याचार किया। लेकिन एक दिन बहुआरा में जनता ने पुलिस वालों को घेरकर बुरी तरह से पीट दिया।

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