Revolution Of Ballia Part 11 | Bagi Ballia | History of Ballia
टाउन हाल में जन सभा
ठसाठस भरे टाउन हाल मैदान और उसके बाहर सड़कों पर खड़ी जनता को श्री राम अनन्त पाण्डेय, श्री राधा मोहन सिंह, श्री राधा गोविन्द सिंह और श्री विष्वनाथ चौबे ने सम्बोधित किया। इस समय बूंदाबांदी हो रही लेकिन भीड़ ड़टी रही।
इस वक्त श्री चित्तू पाण्डेय यहां मौजूद नहीं थे। उनसे कलक्टर श्री जे0 निगम अपने बंगले पर बात कर रहें थे। पाण्डेय जी टाउन हाल बुलाये गए। जनता ने तालियों की गड़गड़ाहट और इन्कलाब, जिन्दाबाद के नारे से उनका स्वागत किया।
श्री चित्तू पाण्डे ने ठेठ भोजपुरी में भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा कि- ‘‘रउआ सभे जवन कुछ कइलीं, एतना बड़ आन्दोलन चलवलीं, ओकरा खातिर हम रउरा सभ के हिरदय से बधार्इ दे तानी।
हम त• रउरा सभ के सेवक हर्इं, अपना ओरी से जेल से छूटे खातिर हम कवनो जतन ना कइनी हां। हमरा त• इहो ना मालूम की र्इ रिहार्इ का होला।
बाकिर र्इ साफे लउकत बा, कि र्इ रउरा सभ के ताकत, रउरा दबाव आ रउरा एतना जोरदार आन्दोलन कइला से इ कुल्हि भइल ह। इ सब रउरे बिजय बा। हमार एमें कुछु नइखे ए आन्दोलन के रउरे नेता बानी, हम ना।
जइसन रउरा रार्इ देइब, उहे होर्इ। इहां सुराज आजु भइल। एकर माने गांधी जी के रामराज हो गर्इल, रउरा सभे अपना र्इहां जाइके सब “ाान्ति राखीं। सभके रच्छा करीं सभें। र्इहां से जवन सनेस जा ओकरा मोताबिक काम करीं सभे।’’
श्री चित्तू पाण्डेय के भाशण के बाद उनके अनुरोध पर दो-तिहार्इ भीड़ क्षुभित मन से अपने घरों को लौट गयी। किन्तु एक चौथार्इ लोग अभी भी रूके थे।
ये गरम दल के युवा कार्यकर्ता जीती हुर्इ बाजी हारना नहीं चाहते थें। यद्यपि की अधिक संख्या में लोगों के चले जाने और रात हो जाने से कलक्ट्री पर अधिकार नहीं किया जा सकता था। फिर भी इतने लोग जो कर सकते थे, उसके लिए निकल पड़े।
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पुलिस चौकियों पर अधिकार
गरम दल के ये कार्यकर्ता टोलियों में बंट गये। श्री बच्चा लाल, श्री उमाषंकर सोनार, श्री सरयू प्रसाद, श्री विष्वनाथ प्रसाद, श्री हीरा पंसारी, श्री रामचन्द्र प्रसाद, श्री राम अषीश, श्री नन्द किषोर इंजीनियर, श्री षिव पूजन राम, श्री नागेष्वर राय, श्री प्रसिद्ध नारायण सिंह, श्री मुख्तार, श्री जमुना राय, श्री सुदेष्वर सिंह, के नेतृत्व में निकली टोली ने ओक्डेनगंज पुलिस चौकी पर धावा बोला चौकी के सिपाही भाग खड़े हुए।
भीड़ ने पुलिस चौकी के सारे सामान को इकट्ठा कर फूंक दिया। वहीं खड़ी पुलिस की लारी को भी आग के हवाले कर दिया।
श्री धनी अहीर, श्री बेनी अहीर, श्री “याम अहीर, श्री रामनाथ प्रसाद और श्री श्रीकांत पाण्डेय के नेतृत्व में जापलिनगंज पुलिस चौकी का सामान भी फूंक दिया गया। यहां पर पुलिस वाले पहले ही भाग गए थें। एक सिपाही लाल मुहम्मद की दो नाली बन्दूक भी इस टोली के हाथ लग गयी।
पुलिस चौकियों का सामान फूंकने के बाद ये टोलियां बलिया रेलवे स्टेषन पंहुची, यहां के सारे अभिलेख टिकट आदि फूंक दिये गये। सरकारी बीज गोदाम को लूटकर जनता घर ले गयी।
“ाहर की सभी गांजा, “ाराब की दुकानों का स्टाक नश्ट करके उन्हे बन्द करा दिया गया। अब इस भीड़ के निषाने पर वह अधिकारी थें, जिन्होने आन्दोलनकारियों पर जुल्म ढ़ाया था।
12 अगस्त विद्यार्थियों पर कहर बरपाने वाले डिप्टी कलक्टर मुहम्मद औबेस के बंगले पर भीड़ ने धावा बोला उनके बीवी-बच्चों को बाहर निकाल कर सारा सामान तहस-नहस कर दिया।
भीड़ छात्रों पर बर्बर अमानुशिक अत्याचार करने वाले मु0 ओबैस को वैसा ही दण्ड देने को उतावली थी। लेकिन श्री नगीना चौबे को दया आ गयी।
उन्होने आदेष दिया कि कान पकड़कर उठक-बैठक करो। मु0 ओबैस ने कान पकड़ कर उठक-बैठक किया और रिहा होने पर परिवार सहित भाग कर कहीं छिप गये। यहां जितने सरकारी बंगले थें, उसके अधिकारी परिवार सहित भागकर पुलिस लाइन में जा छिपे थे। जुल्म ढ़ाने वाले दूसरे डिप्टी कलक्टर एन0 डी0 कक्कड़ भी कहीं अन्यत्र जा छिपे थें।
इस आक्रोषित जन समूह से ब्रिटिष प्रषासन के खैरख्वाह गैर सरकारी लोग भी नहीं बचे। कमिष्नर के यहां जाने के लिए डिप्टी कलक्टर राम लगन सिंह को कार उपलब्ध कराने वाले राय बहादुर प0 काषीनाथ मिश्र के मकान पर धावा बोलकर भीड़ ने सारा सामान फूंक दिया।
हड़ताल में दुकान नहीं बन्द करने वाले और 14 अगस्त को कमिष्नर वाराणसी की खातिरदारी करने वाले “ाहर के डा. बब्बन प्रसाद सिंह का दवाखाना तहस-नहस कर दिया। इन पर छात्रों को पकड़वाने में पुलिस की मदद का भी आरोप था।
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बलिया का स्वतंत्रता दिवस
इस जनक्रान्ति के फलस्वरूप ब्रितानी प्रषासन पूरी तरह से पंगु बन कर रह गया था। सभी अधिकारी एक प्रकार से सिविल लाइन्स क्षेत्र में जनता के कैदी बन गये थे। यह सभी लोग स्वत: पदच्यूत हो गये थे।
कलक्टर श्री जे0 निगम ने कहा पाण्डेय जी, हम आपकी दया पर आश्रित है, हम पुलिस लाइन के बाहर नहीं निकलेंगे।
इधर टाउन हाल की सभा के बाद कांग्रेस के विषिश्ठ नेताओं की बैठक श्री षिव प्रसाद बाबू की कोठी पर हुर्इ। उस बैठक में कलक्टर श्री जे0 निगम और पुलिस कप्तान श्री जियाउद्दीन अहमद को बुलवाया गया।
श्री चित्तू पाण्डेय ने दोनों आला अधिकारियों से जिले की भावी व्यवस्था के बारे में पूछा- कलक्टर श्री जे0 निगम ने कहा कि केवल सिविल लाइन्स क्षेत्र में हमारी व्यवस्था रहेगी।
पूरे जिले से हमारा सम्पर्क टूट चुका है, कहां क्या हो रहा है, हमें यह भी मालूम नहीं हैं, अब आपलोग ही जिले की सारी व्यवस्था सम्भालें।
बैठक से इन दोनों अधिकारियों के चले जाने के बाद यह तय किया गया कि जिले की प्रषासनिक व्यवस्था के लिए कल फिर बैठक की जाये।
भारी भीड़ और उसके बागी तेवर को ध्यान में रखते हुए “ाहर में रात को पहरा लगाने की व्यवस्था की गयी। लेकिन कहीं किसी आम जनता के साथ कोर्इ अप्रिय वारदात नहीं हुर्इ।
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आजादी की पूड़ी-मिठाई
इस आन्दोलन में गांवों से आये विपुल जन समूह के सामने टाउन हाल की जन सभा के बाद भोजन का बहुत बड़ा यक्ष प्रष्न खड़ा था। आस-पास के लोग तो वापस चले गये। फिर भी पचीसों हजार लोग अपने घर नहीं लौट पाये थें।
बलिया के सभी प्रमुख व्यापारियों, अढ़तियों ने मुफ्त में आटा, घी, चीनी और “ोश सारा सामान उपलब्ध करा दिया। हलवार्इओं ने संहर्श सेवा स्वीकार किया। रेलवे स्टेषन से गुदरी बाजार तक सड़क की दोनों पटरियों पर सैकड़ों भट्ठियां बन गयी और बलिया के नगर निवासी सपरिवार सेनानियों को बड़े प्रेम और आदर के साथ पूड़ी, तरकारी, मिठार्इ खिलाने लगें।
यह क्रम दूसरे दिन सुबह तक अनवरत चलता रहा। इस आजादी के अनोखे भोज में श्री जगन्नाथ सिंह (चीनी वाले) श्री राधा कृश्ण राम (गुदरी बाजार), श्री दुली चन्द्र मारवाड़ी, श्री गंगा प्रसाद गुप्त और बाबू दुर्गा प्रसाद गुप्त जी के चाचा श्री अवध किषोर प्रसाद ने अहम भूमिका निभाया।
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पं0 महानन्द मिश्र ने बन्दूक छीना
यद्यपि की आज पूरे नगर में किसी व्यवसायी या सामान्य जनता के साथ कोर्इ अप्रिय घटना नहीं घटी। लेकिन पं0 महानन्द मिश्र जी की धर्मपत्नी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन की जिलाध्यक्ष श्रीमती राधिका मिश्रा ने लेखक को बताया कि कांग्रेस के नरम पंथी नेताओं के द्वारा अधूरी आजादी पर संतोश कर लेने से खीझे हुए पं0 महानन्द मिश्र जी आधी रात के बाद अपने लंगोटिया यार श्री विष्वनाथ चौबे के साथ “ाहर के प्रसिद्ध व्यवसायी श्री नारायण राम के यहां जा धमकें और उनसे उनकी बन्दूक छीन लिये।
मिश्र जी ने इस बन्दूक के साथ 3-4 दिनों तक बड़ी बहादुरी से उन स्थानों पर अधिकार करने में योगदान दिया जो अभी तक आजाद नहीं हो पाये थे।
आज ही रात को लगभग पांच सौ लोग के जन समूह ने बांसडीह रोड रेलवे स्टेषन को फूंक डाला।
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